मंगल बाणी
1. यह कैसा सम्बन्ध है, बिश्वास जितने के लिए अपना सर कटवाने को तैयार हो जाते है l जब बिश्वास कर लिया जाता है, तब उसका ही सर काट्कर जहा से आया था वही को चला जाता हैं l
2. वह कैसा संन्त , महात्मा, और ज्ञानी मनुष्य है, जो हमेसा अपने सुख के बारे मे सोचता हैं l दुसरो को उपदेश देता हैं, लेकीन अपने जीवन मे उसका थोडा भी ब्यबहार नही करता हैं lकब तक इनको मानते रहेंगे, जब तक ऐसो को मानेगे, तब तक हमे विपत्ती का सामना करना पडेंगा l
3. जो जैसा कर्म करता हैं, उसकी पहचान वैसा ही होता हैं l जन्म जात जो पहचान मिलता हैं, उसकी आयु कम होती हैं, कोई अपनी पहचान बचाता हैं, तो कोई अपनी पहचान मिटा देता हैं l जो महान आत्मा होते हैं, वह अपनी नई पहचान बनालेते हैं l
4. कब तक इन धूर्त, पाखंण्डी, चरित्रहीन और भूतवक्ता को अपने जीवन का आवश्यक अंग मानते रहोगें l जब तक इनको मानोगे तब तक तुम्हारे जीवन मे उजाला नही हो सकता हैं l
5. मीठें वचनो का प्रयोग करने वालो को समझो, पता चल जायगा उनहोने कितने को लुटा हैं l कितने के घरो को अपने शब्द जाल मे फसा कर लुटा हैं lकितनो को पथ भ्रष्ट कर दीया हैं, बचा सको तो अपने को और अपने लोगो को बचालो l
6. सबसे उत्तम् पूजा और ज्ञान वह है जो स्वयम् किया जाए और उसका फल स्वयम् प्राप्त किया जाए l सज्जन और कुलिन जन का यही पहचान हैं l
7. जन्म से किसी को मानना अज्ञानता हैं, वास्तव मे कर्म से किसी को मानना ज्ञानी की पहचान हैंl मूर्खो ने सज्जनो और सिधे सादे लोगो को अज्ञानी जनो को अपने महत्वाकाक्षां का शिकार बनाया हैं l
1. यह कैसा सम्बन्ध है, बिश्वास जितने के लिए अपना सर कटवाने को तैयार हो जाते है l जब बिश्वास कर लिया जाता है, तब उसका ही सर काट्कर जहा से आया था वही को चला जाता हैं l
2. वह कैसा संन्त , महात्मा, और ज्ञानी मनुष्य है, जो हमेसा अपने सुख के बारे मे सोचता हैं l दुसरो को उपदेश देता हैं, लेकीन अपने जीवन मे उसका थोडा भी ब्यबहार नही करता हैं lकब तक इनको मानते रहेंगे, जब तक ऐसो को मानेगे, तब तक हमे विपत्ती का सामना करना पडेंगा l
3. जो जैसा कर्म करता हैं, उसकी पहचान वैसा ही होता हैं l जन्म जात जो पहचान मिलता हैं, उसकी आयु कम होती हैं, कोई अपनी पहचान बचाता हैं, तो कोई अपनी पहचान मिटा देता हैं l जो महान आत्मा होते हैं, वह अपनी नई पहचान बनालेते हैं l
4. कब तक इन धूर्त, पाखंण्डी, चरित्रहीन और भूतवक्ता को अपने जीवन का आवश्यक अंग मानते रहोगें l जब तक इनको मानोगे तब तक तुम्हारे जीवन मे उजाला नही हो सकता हैं l
5. मीठें वचनो का प्रयोग करने वालो को समझो, पता चल जायगा उनहोने कितने को लुटा हैं l कितने के घरो को अपने शब्द जाल मे फसा कर लुटा हैं lकितनो को पथ भ्रष्ट कर दीया हैं, बचा सको तो अपने को और अपने लोगो को बचालो l
6. सबसे उत्तम् पूजा और ज्ञान वह है जो स्वयम् किया जाए और उसका फल स्वयम् प्राप्त किया जाए l सज्जन और कुलिन जन का यही पहचान हैं l
7. जन्म से किसी को मानना अज्ञानता हैं, वास्तव मे कर्म से किसी को मानना ज्ञानी की पहचान हैंl मूर्खो ने सज्जनो और सिधे सादे लोगो को अज्ञानी जनो को अपने महत्वाकाक्षां का शिकार बनाया हैं l
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